भूल नहीं सकते हम सब तो ,
बलिदान सभी वीरों का ।
चलो सभी हम करें सफ़ाया ,
सभी ही उन अधीरों का ।।
चीर गई थी सीना गोली ,
मत भूलो उस गोली को ।
जो कानों में ज़हर घोलती ,
करो न विस्मृत उस बोली को ।।
लिए तिरंगा आगे आये जो ,
भून उन्हें भी था डाला ।
उलटे क़दमों थे भागे वे ,
तभी था मुँह किया काला ।।
आगे तो क़दम बढ़ाना मत ,
चीख उठीं थीं प्राचीरें ।
ललकार उठे थे सैनिक भी ,
चलो चलें छाती चीरें ।।
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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
25.6.2020 , 10:16 एएम पर रचित ।
मुंबई (महाराष्ट्र ) ।
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🙏🙏समीक्षार्थ व संशोधनार्थ ।🌹🌹
28.6.2020 .
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