रूपा व्यास,

 


                   'पर्यावरण'


 


पर्यावरण को बचाना है,


पर्यावरण को बचाना है,


ये सब हमने ठाना है।।


 


वृक्षों को मत काटो तुम,


वृक्षों को मत काटो तुम,


वरना ये प्रकृति हो जाएगी सुन्न।।


 


प्राचीन समय से पेडों की पूजा की जाती,


प्राचीन समय से पेडों की पूजा की जाती,


'एक वृक्ष दस पुत्र समान '


यह शिक्षा धर्म ग्रंथों से आती।।


 


धरती माँ पुकारें बार-बार,


धरती माँ पुकारे बार-बार,


प्रकृति की रक्षा करो तुम हर बार।।


 


कभी भूकंप तो कभी महामारी,


कभी भूकंप तो कभी महामारी,


हम सब अपने अपने पर्यावरण के आभारी।।


 


मत करो तुम जानवरों जैसा व्यवहार,


मत करो तुम जानवरों जैसा व्यवहार,


ऐसे ही मृत न हो जाए हाथी बार-बार।


 


शुद्ध पर्यावरण अगर तुम्हें चाहिए,


शुद्ध पर्यावरण अगर तुम्हें चाहिए,


तो प्रदूषण कम हो,ये भी तो सोचना चाहिए।


 


कहीं तुम हरियाली नष्ट किए जा रहे,


कहीं तुम हरियाली नष्ट किए जा रहे,


आबादी के कारण मकान पे मकान खड़े किए जा रहे।।


 


हे!मानव अब तो संभल जा,


हे!मानव अब तो संभल जा,


पर्यावरण संरक्षण कर बच जा।।


पर्यावरण संरक्षण कर बच जा।।


              


नाम-रूपा व्यास,


,'परमाणु नगरी' रावतभाटा,जिला-चित्तौड़गढ़ (राजस्थान),पिनकोड-323307


 


                 


                  


 


 


 


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