संदीप कुमार विश्नोई

जय माँ शारदे


उड़ान सवैया


 


लिखें नित नूतन छंद सदा , जब से गुरुदेव मनोज मिले हमें।


निखार रहे मम लेखन को , इनका शुभ प्रेम सरोज मिले हमें।


लिखें नित छंद नये हम जो , मन को निज साधन खोज मिले हमें। 


रचें नित भाव बना उर से , मन को फिर पावन ओज मिले हमें।


 


संदीप कुमार विश्नोई


गाँव दुतारांवाली तह0 अबोहर जिला फाजिल्का पंजाब


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...