संजय जैन (मुम्बई

*समय निकल जायेगा*


विधा : कविता


 


दिल से दिल मिलाकर देखो।


जिंदगी की हकीकत को पहचानो।


अपना तुपना करना भूल जाओगे।


और आखिर एक ही पेड़ की छाया के नीचे आओगे।


और अपने आप को तुम तब अपने आप को पहचान पाओगे।।


 


क्योकि छोड़कर नसवार शरीर,


एक दिन सब को जान है।


जो भी कमाया धामाया 


सब यही छोड़ जाना है।


फिर भी भागता रहता है


माया के चक्कर मे।।


 


और न खाता है न पीता है,


और न चैन से जीता है।


खुद तो परेशान रहता है


और घर वाले को भी..।


इसलिए संजय कहता है


की कर ले कुछ अच्छे कर्म।


जिन्हें तेरे साथ अंत मे जाना है।।


 


घुटन की जिंदगी जीने से,


तो अच्छा है आदि खा के जीओ।


एक साथ हिल मिलकर


अपने परिवार में रहो।


जो भाग्य में लिखा है


वो तुझे मेहनत से मिल जाएगा।


पर लालच में स्वर्ग वाला,


समय निकल जायेगा।।


 


जय जिनेंद्र देव की


संजय जैन (मुम्बई)


29/06/2020


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