*अजनबी पर दोस्त*
विधा : कविता
ज़रा सी दोस्ती कर ले..,
ज़रा सा साथ निभाये।
थोडा तो साथ दे मेरा ...,
फिर चाहे अजनबी बन जा।
मिलें किसी मोड़ पर यदि,
तो उस वक्त पहचाने हमे लेना।
और दोस्ती को उस वक्त,
तुम दिल से निभा देना।।
वो वक़्त वो लम्हे,
कुछ अजीब होंगे।
दुनिया में हम शायद,
खुश नसीब होंगे।
जो दूर से भी आपको,
दिल से याद करते है।
क्या होता जब आप,
हमारे करीब होते।।
कुछ बातें हमसे सुना करो,
कुच बातें हमसे किया करो..।
मुझे दिल की बात बता डालो,
तुम होंठ ना अपने सिया करो।
जो बात लबों तक ना आऐ,
वो आँखों से कह दिया करो।
कुछ बातें कहना मुश्किल हैं,
तो चहरे से पढ़ लिया करो।।
जब तनहा तनहा होते हो तुम।
तब मुझे आवाज दे देना।
मैं तेरी तन्हाई दूरकर दूंगा।
बस दिल से याद हमे करना।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
01/06/2020
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