सत्यप्रकाश पाण्डेय

तुम समझो नयनों की भाषा..


 


यौवन दहलीज पर पैर रखा


तब से मेरे मन में आशा


जीवन सहचरी बनो हमारी


तुम समझो नयनों की भाषा


 


इठलाई सी रहो तुम हरदम


नहीं प्यार मोहब्बत जानी


तुझे बना के रहेंगे अपना


सनम सत्य ने मन में ठानी


पर जब भी आया पास तेरे


काल्पनिक ही लगी अभिलाषा


किसे हिय की मैं बात बताऊं


तुम समझो नयनों की भाषा


 


प्रिय नहीं दिखावा प्रेम मेरा


सजनी किया जिसका उपहास


पूर्ण समर्पित करूं ये जीवन


तुम्ही खुशी तुम्ही हो हास


समझ न पाई मेरी भावना


कैसे जिगर को दूँ दिलाशा


असमर्थ हूं भाव प्रकट करूं न


तुम समझो नयनों की भाषा।


 


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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