रजा राज बन गई है..
हमारी जिंदगी कांटों का ताज बन गई है
आज बेबसी हमारी मुमताज बन गई है
समझते रहे सुहानी राह जिसे जिंदगी भर
वही समझ मुश्किल भरा काज बन गई है
दुःखों की धारा में पतवार समझ बैठे जिसे
वह जीवन नौका ही यमराज बन गई है
सत्य उलझन और गरज से भरी है धरती
कैसे टटोलें मन को रजा राज बन गई है।
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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