क्यों गर्व करे तू प्राणी.....
क्यों गर्व करें तू प्राणी,यह दो पल की जिंदगानी।
यह काया है आनी जानी, रह जायेगी तेरी वाणी।।
निर्धारित साँसों की पूंजी,
और आस नहीं कोई दूजी।
धन दौलत रह जायेगी तेरी,
क्यों करता है तेरा मेरी।।
यहां न बस चले किसी का, क्यों बनता अभिमानी।
यह काया है आनी जानी, रह जायेगी तेरी वाणी।।
कड़वे बोल न बोल किसी से,
जो न पुरें कोई मरहम से।
सारा जगत मान तू अपना,
यहां न कोई पराया अपना।।
दो मुठ्ठी राख बनेगी तेरी,क्यों मति हुई बौरानी।
यह काया है आनी जानी, रह जायेगी तेरी वाणी।।
दो दो आंसू बहायेंगे अपने,
दो गज कपड़े में लिपटेंगे सपने।
चार कदम तेरे साथ चलेंगे,
फिर तुझसे वे कभी न मिलेंगे।।
बारह दिन तुझे याद करेंगे,कहेंगे दुनियां है आनी जानी।
यह काया है आनी जानी, रह जायेगी तेरी वाणी।।
कुछ तो ऐसी करनी कर जा,
प्रीति हृदय में ऐसी भर जा।
मरकर सबका प्यारा बन जा,
सबके हिय का राजा बन जा।।
अलविदा होकर भी जग में,गूँजें तेरी ही वाणी।
यह काया है आनी जानी, रह जायेगी तेरी वाणी।।
क्यों गर्व करें तू प्राणी,यह दो पल की जिंदगानी...
युगलरूपाय नमो नमः 👏👏👏👏👏👏🌹🌹🌹🌹
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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