सृजनहार की.............
सृजनहार की सृजना,
सृष्टि सुन्दर सौम्य।
शांतिमय संगीतमय,
शीतल और सुरम्य।
स्नेह सलिल से सींच,
सत्य सेे सुशोभित।
संवेदनाओं से संयुत,
सौभाग्य से सुमेलित।
सहजता से सरस,
सरलता से सुसंस्कृत।
सौन्दर्य से संरक्षित,
सुजनता से सुरक्षित।
सर्वज्ञ सर्वमान्य है,
सर्व गति श्रेष्ठ सुजान।
सृजेता की सामर्थ,
सृजकता का सुप्रमान।
सौभाग्य वह स्वामी,
सबका स्वाभिमान है।
सत्य की सम्पदा से ,
सफलता सुअभिमान है।
सच्चिदानंद सर्वेश्वर,
शत शत साष्टांग प्रणाम।
संसार सुभाशीष से,
स्वामी सदा ही निष्काम।
सत्यप्रकाश पाण्डेय🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
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