सत्यप्रकाश पाण्डेय

कैसे शब्दों में...........


 


मेरा भी मन कहता है, मैं भी एक ग़ज़ल लिखूं


विरह व्यथित हिय मेरा, आँखें मेरी सजल लिखूं


 


चाहता था मैं भी प्रिय, जीवन तेरे साथ बिताऊँ


हार गया तेरी हठ से, हो गया कैसे निबल लिखूं


 


ख्वाब सजाये थे मैंने, तुम होंगी मेरी बाहों में


ख्वाब मेरे ख्वाब रहे न, हो पाया मैं सफल लिखूं


 


प्यार प्रीति की हो बारिश, भीग जाये तन व मन


प्यासा है अन्तर्मन मेरा, हो गया मैं विफल लिखूं


 


अप्रितम पल जीवन के, सत्य यूं ही तूने गंवा दिये


हो पायेगा दीदार प्रिया, कैसे शब्दों में मिलन लिखूं।


 


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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