जिंदगी में..................
किसी की मुहब्बत का ताज पहनकर सिर पर,
हम तो इठलाते फिर रहे थे।
वह तो है आलम्बन हमारी जिंदगी का,
हम सबसे कहते फिर रहे थे।।
माना कि उसे भी नाज सा हो गया था कुछ,
फितरत भी बदली बदली लगी।
तन मन वारा जिसे अपना बनाने के लिए,
वही न हो सकी हमारी सगी।।
हर दिन को परीक्षा में गुजारते रहे हम,
सोचा सफल हो ही जायेंगे।
लिखेंगे इबादत अपनी प्रेम कहानी की,
जिंदगी में सकून पायेंगे।।
वाह री किश्मत बड़े अजब खेल हैं तेरे,
किसको हसाये किसे रुलाये।
जिसको सत्य समझ रहा दुःख सुख का साथी,
वो हमें पतझड़ बनकर आये।।
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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