शिवानी मिश्रा (प्रयागराज)

काश(कविता)


 


काश! एक ऐसा जहाँ होता,


न कोई हिन्दू ,न कोई मुसलमान होता,


लोग जीते सिर्फ मानवता के लिये,


बस भाईचारा ही उनका धर्म होता,


विवाद न होता भाषा का,


न द्वंद होता संस्कृति का,


बस प्रेम ही उद्देश्य होता मानव का


मानव जीता सिर्फ मानव के लिये,


न होता हिंसा का माहौल,


न होता राज बेईमानी का,


स्वर्ग सा सुन्दर जीवन होता,


बस एक सहायता ही सबका धर्म होता।


 


शिवानी मिश्रा


(प्रयागराज)


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