विश्व पर्यावरण दिवस
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आज समस्या हुई अनेक
कैसे हो अब निराकरण
आओ मिल जुलकर करें
स्वच्छ चहु दिशि पर्यावरण।।
निर्मलता से वृक्षों को काटा
सुख की खाई को है पाटा
दूभर हो अब जीव भरण
जब शुष्क हुआ पर्यावरण।।
हरियाली का ह्रास हुआ
वृक्षों का विनाश हुआ
शुद्ध वायु के अभाव में
दूषित सबका श्वास हुआ।।
शैलो पर वृक्षों की पंक्ति
थी जीवन की अनुपम शक्ति
शोकाकुल अब शुष्क शैल है
कहां गई जन-जन की भक्ति।।
देवों का जो वास बने थे
आज वही वीरान बने
एक एक वृक्ष है वहां दिखता
जहां वृक्ष थे घोर घने।।
संतुलित थी जिससे जलधारा
टूट रहा अब धरा किनारा
नित्य प्रति अब बाढ़ आ रही
अस्त व्यस्त है जीवन सारा।।
अब क्रांति लाओ म न में
मुखरित भाव हो जन-जन में
सुबोध का यह एक संदेश
हम दो हमारे दो बच्चे दो बृक्ष अनेक।।
सुबोधकुमार} शर्मा शेरकोटी
गदरपुर उत्तराखंड मो0 न0
9917535361
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