कविता:-
*"रक्षा करते उनकी भगवान"*
"पल-पल समझौता जीवन से,
यहाँ जब कर लेता इन्सान।
अच्छा बुरा कुछ नहीं जग में,
सभी कुछ लगता एक समान।।
टूटन-घुटन बढ़ी यहाँ मन में,
हो जाता फिर मन बेचैन।
समरसता की चाहत मन में,
यहाँ हरती पल-पल वो रैन।।
अर्थहीन न वो जग में यहाँ,
जो कर्मशील है-इन्सान।
सद्कर्मो संग जीवन जिनका,
रक्षा करता उनकी भगवान।।
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.
ःःःःःःःःःःःःःःःःः 06-06-2020
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें