सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-


       *"सवेरा"*


"दीप से दीप जला नेह के,


इतना कर दो उजियारा।


जीवन में फिर साथी कोई,


रहे न नफ़रत का डेरा।।


जीवन पथ पर जग में फिर से,


होगा ऐसा सवेरा।


छाये न कोई गम की बदली,


होगा ख़ुशियों का डेरा।।


इतना त्याग करना जग में,


बना रहे नेह का फेरा।


कैसी-आये गम की बदली,


घेरे न जीवन सवेरा।।"


ःःःःःःःःःःःःःःःः


        सुनील कुमार गुप्ता


sunilgupta.abliq.in


ःःःःःःःःःःःःःःःःः 28-06-2020


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