कविता:-
*"तूफान"*
"प्रकृति का तूफान तो साथी,
थम ही जायेगा-
कर के कुछ नुकसान।
कारण खोजो फिर न आये,
प्रलय सा तूफान-
सफल हो ये अभियान।
सब कुछ सहज हो जाता साथी,
उठता न जो मन में-
अपनो के अपमान से तूफान।
बड़ा मुश्किल है जीवन में साथी,
थामे उस तूफान को और-
मन आये अभिमान।
अहंकार मे डूबे हुए जग मे,
मिट गये बड़े -बड़े नाम-
रहा न उनका धरती पर नामो निशान।
तूफान तो तूफान है साथी,
प्रकृति का कोप हो-
चाहे मन छाया अभिमान।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
ःःःःःःःःःःःःःःःः
04-06-2020
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