कविता:-
*"दु:ख के साथी बन जाओ"*
"उदासी के पल बीते साथी,
फिर अब तो तुम मुस्कराओं।
छाया मधुमास जग में साथी,
फिर मधुर गीत गुनगुनाओं।।
जागे मन में विश्वास साथी,
फिर ऐसा कर्म कर जाओ।
महके जीवन बगिया साथी,
ऐसा स्नेंह जल बरसाओ।।
छाये न उदासी मन में यहाँ,
साथी ऐसा कुछ कर जाओ।
सुख के साथी हो न हो साथी,
दु:ख के साथी बन जाओ।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta
ःःःःःःःःःःःःःःःः
01-06-2020
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