कविता:-
*"भक्ति की देन"*
"रास्ते अलग-अलग देखो,
मगर मंज़िल तो एक है।
आस्थाएं अलग-अलग ये,
लेकिन- शक्ति तो एक है।।
देखे भक्त अलग-अलग वो,
लेकिन-भक्ति तो एक है।
रूप अलग-अलग जग में तो,
लेकिन-ईश्वर तो एक है।।
सोघता रहा मन बावरा,
कैसी-जग को देन है।
भक्त हो कर विभक्त ये जग,
क्या-ये भक्ति की देन है?"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
ःःःःःःःःःःःःःःःःः 15-06-2020
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