कोई भी चलेगा न बहाना मेरे आगे।
तुमको न मिलेगा कोई सीधा मेरे आगे।
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ऐसे न भड़क जाया करो बात मेरी सुन।
नीचा ही रखो अपना ये लहजा मेरे आगे।
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औरों की तुम्हें बाहों में देखूं तो जले जाँ।
सीने से किसी को न लगाना मेरे आगे।
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दुश्मन हो गया प्यार मुहब्बत का जमाना।
चलता न किसीका वैसे सिक्का मेरे आगे।
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बिछड़ा वो ही मुझसे जो नहीं भाग्य में मेरे।
जीवन का उसीके टूटा धागा मेरे आगे।
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सुनीता असीम
१/६/२०२०
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