सुब्हा से शाम होती है काम करते करते।
कुछ लोग थक रहे हैं आराम करते करते।
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था शानदार मेरा भी नाम इस जहां में।
थकते नहीं इसे तुम बदनाम करते करते।
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बचते रहे मुसीबत से हम यहां वहां से।
कटता रहा ये जीवन हे राम करते करते।
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हमने शुरू किया था इक काम ज़िन्दगी में।
दुश्मन थके इसे तो नाकाम करते करते।
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जज्बा नहीं भुलाया था इश्क का कभी भी।
गुमनाम हो गए इसको आम करते करते।
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सुनीता असीम
६/६/२०२०
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