खूबसूरत से नज़ारे तो हिजाबों में मिले।
इश्क करने की अदा सिर्फ नबावों में मिले।
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काम करने में खुशी उतनी नहीं मिलती है।
वो मजा और खुशी सिर्फ ख़िताबों में मिले।
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वो परी एक कहानी की हसीना माना।
ऐसी परियाँ तो कथा और किताबों में मिले।
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मय का प्यासा तो दिवाना सा ठिकाना खोजे।
उसकी मंजिल तो उसे सिर्फ शराबों में मिले।
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जितनी कविता औ ग़ज़ल हमने लिखीं हैं अब तक।
उनका चिट्ठा तो किताबों के हिसाबों में मिले।
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सुनीता असीम
१७/६/२०२०
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