दिल ये जलता सा अंगारा था कभी।
इक पड़ा जबसे शरारा था कभी।
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खेल उल्फत का रहे थे खेलते।
बस वफ़ाओं से गुज़ारा था कभी।
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खूबसूरत साथ साथी का मिला।
प्यार उसका बस हमारा था कभी।
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दिल्लगी सी कर रही थी जिन्दगी।
सिर्फ यादों का सहारा था कभी।
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हस रहे थे तब यहां हमपर सभी।
दिल रहा कितना बिचारा था कभी।
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सुनीता असीम
15/6/2020
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