बड़ी शातिर है तनहाई ,
ये अकेली ही चली आई।
देखो तुम्हारी याद तो लाई
कहीं तुम को छुपा आई ।
दे रही एक खत इसको ,
लिखा था प्यार से जिसको।
इसे तुम ठीक से पढ़ना ,
जिसे पहले न दे पायी ।
कलम से दिल के टुकड़ों की,
अपने अरमा पिरोये हैं ।
ढुलकते अश्क स्याही बन ,
आज खत को भिगोए हैं ।
किए हैं आज वो शिकवे ,
जिन्हें अब तक छुपा लाई।
इसे तुम ठीक से पढ़ना ,
जिसे पहले न दे पायी ।
बह रही ही देख लो रिमझिम,
मेरे नैनों की बरसातें ।
हर घड़ी याद आती हैं ,
तुम्हारे प्यार की बातें ।
झरी बरसात अंखियों से,
वही खत को बहा लायी ।
इसे तुम ठीक से पढ़ना ,
जिसे पहले ना दे पायी ।
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