सुषमा दीक्षित शुक्ला

,


नश्वर है हर वस्तु यहाँ की  


 प्यार अमर है बापू का । 


  


कोई साथ नही देता है , 


 सँग अमर है बापू का ।


 


साथ साथ चलते हैं बापू ,


जायें अगर कही भी हम ।


 


थकने पर हिम्मत बंधवाते ,


टूटें अगर कहीँ भी हम ।


 


सती ,वीरबाला तुम बनना ,


 यही सन्देशा बापू का ।


 


गिरकर उठना ,खोकर पाना ,


 कथन हमेशा बापू का ।


 


नश्वर है हर वस्तु यहाँ की ,


प्यार अमर है बापू का ।


 


जीवन का संघर्ष कठिन हो ,


 अगर ख्याल ना राखें बापू ।


 


किस से मन की व्यथा सुनाऊँ ,


  अगर हाल ना भाँपें बापू ।


 


उनका लहू भरा जो मुझमें ,


क्षमतावान बनाता मुझको ।


 


कष्टों मे भी हंसकर जीना ,


उनका ध्यान दिलाता मुझको ।


 


अपना धरम कभी ना भूली , 


यही असर है बापू का ।


 


नश्वर है हर वस्तु यहाँ की ,


प्यार अमर है बापू का ।


 


 सुषमा दीक्षित शुक्ला


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