लक्ष्मी बाई बन मनू जब,
पग धरणि पर धर दिया ।
मानो स्वयं ही दुर्गमा ने ,
जन्म धरती पर लिया ।
सुघड़ता मे लक्ष्मि जैसा,
रूप प्रभु ने था दिया ।
शौर्य ,साहस शक्ति से ,
माँ शक्ति ने सजा दिया ।
मां भारती की भक्ति हित ,
थे प्राण अर्पण कर दिया ।
ये वीरता की अमिट गाथा ,
को नया दर्पण दिया ।
नारी शक्ति अटल योद्धा ,
की अमर मिसाल वह ।
क्रांति देवी रूप में थीं ,
शत्रुओं का काल वह ।
निर्बल नहीं नारी कभी ,
संदेश दुनिया को दिया ।
गौरव बढ़ाकर देश का ,
यह विश्व में साबित किया ।
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