सुषमा दीक्षित शुक्ला

*एक खूबसूरत कहानी"


 


जाड़ों की गुनगुनी धूप जैसा ,


इस बेगानी सी दुनियां में ,


तुम्हारा वो अपनापन ।


 


यादों के गलीचे पर खड़े होकर ,


तुम्हारा रूठना मुस्कुराना ।


तुम्हें बस महसूस करना ,


 


सुनो!अब यही सुकून है मेरा ।


हमारे हर तरफ है जो ये ,


तुम्हारे प्यार का अनन्त पहरा ।


 


फिर किसी रोज लिखनी है,


अब एक अपनी कहानी ,


जिसके तुम राजा मैं रानी ।


 


जीवन मरण के फेर से दूर ,


उस कोरे अनन्त क्षितिज पर ,


तुमसे मिलना होगा अब मुझे ,


कभी भी जुदा न होने के लिए ,


 


फिर सदियों तलक 


याद रखी जायेगी,


एक खूबसूरत कहानी ,


जिसके तुम राजा मैं रानी ।


 


   -


- राजाजीपुरम , लखनऊ,


---


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...