उत्तम मेहता 'उत्तम'

वज्न-2122. 2122 2122 2122


क़ाफ़िया—आ स्वर


रदीफ़ --- लाज़मी था..


 


धडकने बैचेन दिल की भी सुनाना लाज़मी था।


पास आने के लिए ही दूर जाना लाज़मी था।


 


बेवफ़ाई बेवफ़ा की भूलने के वास्ते ही।


बेबसी में मैकदे के पास जाना लाज़मी था।


 


सामने से दोस्ती का हाथ उसने जब बढ़ाया।


मुस्कुरा कर हाथ उससे तब मिलाना लाज़िमी था।


 


नूर उसका देख कर तारीफ करता हुस्न की जब।


तब झुका पलकें ज़रा उसका लजाना लाज़मी था।


 


कायदे से दोस्ती सबसे निभाई ज़िन्दगी में।


दुश्मनी भी कायदे से ही निभाना लाज़िमी था।


 


इश्क का दस्तूर ही है बेवफ़ाई बेरुख़ी तो। 


कायदा क्या इश्क का तेरा निभाना लाज़मी था।


 


ख़्वाब नाजुक कांच से उत्तम बिखर मेरे गए जब।


जाम पीकर दर्द का यूं मुस्कुराना लाज़मी था।


 


@®उत्तम मेहता 'उत्तम'


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