स्नेह संचार(कविता)
स्नेह सलिल सरिता में
जीवन उपवन का श्रृंगार करो,
बस जाने दो कण कण में
प्रेम रस सरिता को
स्नेह का ऐसा संचार करो।
सम्बन्धों की नेह डोर को
प्रेम मधुरता में बांध सको,
ऐसा तुम कुछ कार्य करो।
अपनत्व के भावों का
ह्रदय से सम्मान करो तुम,
स्नेह नदी के नीर सा
प्रेम- प्रणय व्यवहार करो।
फैला दो हर ह्रदय में प्रेम को
ऐसी स्नेह धारा प्रवाहयमान करो।
स्नेह सलिल सरिता में
जीवन उपवन का श्रृंगार करो।
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