*मधु शुभ प्रभात*
ईश्वर के आशीष का पायें सब वरदान।
सकल संपदा की मिले घर में स्वर्णिम खान।।
शान्ति रहे घर में सदा सुखी रहे परिवार।।
सबमें हो सद्भावना खुशियां मिलें अपार।।
मैत्री भाव बना रहे रहे आपसी मेल।
दिनचर्या ऐसी लगें खेल रहे जिमि खेल।।
भोर किरण लाये सदा जीवन में उजियार।
जीवन बगिया में खिले पुष्प भाव का प्यार।।
मस्तानी हो जिन्दगी आनंदित हों लोग ।
तन से मन से हृदय सेभागें सारे रोग।।
सबके प्रति शुभ कामना का हो सदा प्रचार।
एक दूसरे को सभी बाँटें अपना प्यार।।
झलके सबके हृदय में सबके प्रति अपनत्व।
एक दूसरे को सभी देते रहें महत्व।।
दंभ कपट को त्यागकर रहे मनुज उन्मुक्त।
जागृत हों ज्ञानेन्द्रियाँ बहुत दिनों से सुप्त।।
रचनाकार:
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें