*हे मां हंस वाहिनी*
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अज्ञान को तुम दूर कर दो
मां अपनी करुणा से भर दो,
बिन तुम्हारे जड़ है जग सारा
हे मां हंस वाहिनी।
हमें शक्ति दे दो मां
हमें भक्ति दे दो मां,
हे दिव्य ज्योति प्रकाशनी
हे मां हंस वाहिनी।
भव सागर तारिणी हो मां
मनुज कंठ वाहिनी,
दया की भण्डार हो मां
हे मां हंस वाहिनी।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
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