ऋचा मिश्रा “रोली"
पिता का नाम -अरुण कुमार मिश्र
माता का नाम - कृष्णा कुमारी मिश्रा
पता - श्रावस्ती बलरामपुर उत्तर प्रदेश
Mo 6386339158
कविताये
तुझे जब याद करती हूँ, स्वयं को भूल जाती हूँ।
सदा अपने स्वरों में मैं ,तुझे ही गुनगुनाती हूँ।
तुझे जब...............
वो' तेरे प्यार का संगम, अदा वो मुस्कुराने की।
तसव्वुर में बसाकर लाज से नजरें झुकाती हूँ।
तुझे जब.............
वो तेरा झूठका -लड़ना,झगड़ना प्यार भी करना।
उसे जब सोचती हूँ मैं, हृदय में खिलखिलाती हूँ
तुझे जब..................
वो सीने में धड़कते दिल की बातें जब सुनी मैंने।
कसम से याद में मैं, हर घड़ी आँसू बहाती हूँ।
तुझे जब......................
कि तुझसे हो गया हर पल दुलारा आज जीवन का ।
गमों के दौर में भी मैं खुशी से मुस्कुराती हूँ।
तुझे ही.....................
2
शीर्षक---------- भुखमरी
भूख के मारे तड़प रहे है
नही मिल रहा खाने को
सड़को पर है भीख मांगते
अपनी भूख मिटाने को
कोई भी जो देता रोटी
आशिर्वाद वो देते है
कोई जो दे देता उनको
जूठन भी खा लेते है
हे ईस्वर तेरी कैसी लीला
अनुपम अजब निराली है
पूछ रही है रोली तुमसे
बन कर आज सवाली है
कोई रेस्टोरेंट में जाकर
पिज़्ज़ा बर्गर खाता है
एक रोटी के लिए भिखारी
दर दर ठोकर पाता है
मालिक अब मेरी भी सुन
रहे सलामत जग सारा
भूख से कोई प्राण न खोए
न कहे तुझे कोई हत्यारा
3-
विधा----- पर्यावरण संरक्षण
फैला दो इतनी हरियाली
पत्ती - पत्ती डाली - डाली ,
वृक्ष लगाएं हम सब मिलकर
पर्यावरण की बात निराली ।
मिलकर हाथ बढ़ाओगे तो
शुद्ध हवा , जल पाओगे ,
दोहन करते रहे प्रकृति को
तो पीछे पछताओगे ।
ध्वनि,वायु,जल औ मिट्टी में
प्रदूषण अब गहरा है ,
इसको दूर भगाएँगे हम
बाँधा सर पर सहरा है ।
पर्यावरण अगर बचता तो
तरु की छाया पायेंगे ,
जनगण की रक्षा भी होगी
सुंदर फल भी खायेंगे ।
वृक्ष बचाओ जीवन पाओ
और हवा भी शुद्ध बनाओ ,
इन सब का तुम कर लो संचय
तो जीवन हो जाए सुखमय ।
4-
नई सृष्टि निर्माण करें
...........................
मैं ही जननी , मैं ही ज्वाला
मैं ही भद्र-कराली हूँ ,
मैं ही दुर्गा , मैं चामुंडा ,
मैं ही खप्पर वाली हूँ !
सृष्टि सदा हँसती आँचल में
नर को देती काया हूँ ,
मुझसा कोई नहीं जगत में
धूप कहीं मैं छाया हूँ ।
त्यागमयी , करुणा की मूरत ,
देवी भी ,कल्याणी भी ,
मुझमें है संसार समाहित,यह
गंगा का पानी भी ।
अन्नपूर्णा ,लक्ष्मी मैं ही हूँ ,आ
जग का कल्याण करें ,
जहाँ सदा खुशियाँ बसती हैं
नई सृष्टि निर्माण करें !
5-
**जीवन क्या है**
जीवन गीत है ,और ये संगीत है
मानव हृदय का देखो , ये मीत है
जीवन बहार है ,जीवन फुहार है
खिल गया जबसे ,धरा पर निखार है
जीवन नाता है ,वीरो की गाथा है
जीवन अवसाद है ,बनता प्रसाद है
नवल ये गात है ,जीवन प्रभात है
जीवन उन्माद है ,जीवन उपकार है
हो न सफल तो ,सब कुछ बेकार है
जीवन कहानी है ,ख्वाबो की रवानी है
प्रिय के मिलन की ,अद्भुत निसानी है
जीवन राग है ,बन बैठा विराग है
तिमिर हो हटाता हुआ ,ऐसा चिराग है
जीवन बहाना है ,खुशियो का ठिकाना है
साथ यहाँ सदा एक ,दूजे का निभाना है
जीवन तो प्रीत है ,गुनगुनाता गीत है
सफर ये सुहाना ,जीवन ही मीत है
स्वरचित
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