काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार सुषमा मोहन पांडेय

सुषमा मोहन पांडेय (शिक्षिका,कवित्री,समाज सेविका)


पति-श्याम मोहन पांडेय


पिता-श्री रामनारायण मिश्र"श्रमिक"


माता -श्रीमती शांती देवी


शैक्षणिक योग्यता-बी एस.सी, विशारद


इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स


निवास स्थान-सीतापुर (उत्तर प्रदेश)


अभिरुचि-कहानी ,कविता ,लघुकथा ,आलोचना ,संस्मरण, समीक्षा,पठन पाठन, समाज सेवा ,अध्यात्म,घूमना,खेल कूद।


प्रकाशन-विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लेख,लघुकथाएं एवं कहानियाँ कविताएँ प्रकाशित।


साहित्यिक गतिविधियाँ-कवि सम्मेलन, संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं में सक्रिय भागीदारी। सेवा कार्यों में अनेकों सम्मान प्राप्त,अनेकों साहित्य ग्रुपों में सक्रिय सदस्य,लोग जंग दैनिक समाचारपत्र भोपाल में रचनाओं का प्रकाशन


दैनिक समाचार पत्र विजय दर्पण टाइम्स मेरठ में प्रकाशितसंस्मरण, कहानी, रचनाएँ


लखनऊ से प्रकाशित दी लेजेंड समाचार पत्र में प्रकाशित रचनाएँ


सीतापुर से प्रकाशित पुस्तक 'सीतापुर के कलमकार, में मेरी कविता का समावेश


शाहजहाँ से प्रकाशित होने वाली कवित्री विशेषांक में मेरा गीत


भाषा-हिन्दी ,अंग्रेज़ी 


रूची -सामाजिक कार्य 


राष्ट्रीय ब्राह्मण एकता संघ की प्रदेश उपाध्यक्षा पद पर कार्यरत एवं ग़रीब बच्चों को फ़्री एजुकेशन 


सोशल क्लब की मीडिया प्रभारी


के पद पर कार्यरत


Mobile no.


9838732124


 


 


*तिरंगा*


ऐसा मेरा प्यार तिरंगा, अपने भारत की शान है


जिस देश जाती में जन्म लिया,उसकी यही पहचान है।


 


स्वतंत्र हुआ जब देश हमारा,


               लहर खुशी की छाई।


अंग्रेजों से पीछा छूटा,


               सांस चैन की पाई।


कितना जुल्म सहा लोगों ने,


          इतिहास मेरा बतलाता है।


हम तो पैदा नहीं हुए थे,


          पर गाथा वो सुनाता है।


इसका वंदन, औ अभिनंदन,


          करते सभी सुजान है।


ऐसा मेरा प्यारा तिरंगा,


           अपने भारत की शान है।


 


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श्वेत रंग है, शांति प्रतीक का,


           सबको बहुत ही भाता है।


हरा रंग हरियाली देती,


           समृद्धि देश कहलाता है।


केसरिया रंग कहानी सुनाता,


           त्याग औ बलिदानों की।


तिरंगे की बात निराली,


           यही हमारी आन है।


ऐसा मेरा प्यारा तिरंगा, 


           अपने देश की शान है।


 


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यही हमारी देश की धरती,


         और सबका अभिमान है।


चाहे हो सरदार भगत सिंह,


         सुखगुरू हो या फिर आजाद


सहज झूल गए फाँसी पर,


          कुर्बानी कर दी जान है।


सब कुछ मेरा इसको अर्पित,


          आन, बान, और शान है।


ऐसा मेरा प्यारा तिरंगा,


          अपने भारत की शान है।


 


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इन अमर शहीदों के कारण ही,


           हम आज स्वतंत्र बन बैठे हैं।


मैं हूँ स्वतंत्र, तुम हो स्वतंत्र,


           सब प्रजातंत्र में रहते हैं।


झुकने न दिया तिरंगा प्यारा,


            करते इन्हें हम सलाम हैं।


नहीं हर्फ़ है"सुषमा" पास फिर,


            भी गाथा गाने में शान है।


ऐसा मेरा प्यारा तिरंगा,


             अपने भारत की शान है।


 


##सुषमा मोहन पांडेय


 


कोरोना कोरोना कोरोना कोरोना


बहुत हो गया अब तुम दफा हो न।


चारो तरफ ही है जिक्र तुम्हारा


टीवी हो अखबार, चर्चा तुम्हारा


संस्कार सिखा दिए,नमस्ते करो न


करोना, करोना, करोना, करोना


बहुत हो गया अब तुम दफा हो न


 


महामारी बनकर तुम आ गई


सारे देशों में तुम छा गई।


सब हैरान हैं, सब परेशान है


अब इस धरती से तुम लुप्त हो न


करोना करोना करोना करोना


बहुत हो गया अब तुम दफा हो न।


 


बूढ़ों पे सबसे पहले करता ये वार है


संक्रमित करना ही इसका कार्य है


स्कूल, मॉल सिनेमाघर, सभी बंद हो गए


रुक गए सारे काम सुन ऐ करोना


करोना करोना करोना करोना


बहुत हो गया अब तुम दफा हो न


 


कोरोना के प्रति सावधानी बरतना


हाथों को अपने बार बार धोते रहना


भीड़-भाड़ से है तुम्हें यार बचना


बिन मतलब घर से न निकलो न


करोना करोना करोना करोना


बहुत हो गया अब तुम दफा हो न।


 


सुषमा मोहन पांडेय


सीतापुर उत्तर प्रदेश


 


एक गीत 


समर्पित मां के नाम


 


मां के चरणों में जन्नत तो मिल जाएगी।


जो मुसीबत भी होगी तो टल जाएगी।


मां के चरणों में...........................


 


बिन देखे ही है, प्यार उसने किया,


अपने खून से है उसने, ये जीवन दिया।


प्यार उससे करो खुशियां आ जाएंगी।


जो मुसीबत भी होगी तो टल जाएगी।


मां के चरणों में..........................


 


तूने जन्म दिया, आँचल में लिया।


हर सुख दुख में मेरा, है साथ दिया।


छाँव ममता की बन कर के दुलरायेगी।


जो मुसीबत भी होगी तो टल जाएगी।


मां के चरणों में..........................


 


इस धरती पर मां तू ही भगवान है,


है तरसता भी तेरे लिए भगवान है,


तू सदा संग रहे, जीत मिल जाएगी।


जो मुसीबत भी होगी तो टल जाएगी।


मां के चरणों में,.........................


 


सुषमा मोहन पांडेय


उत्तर प्रदेश


 


 


सपना


 


ये सुंदर सा सपना है मेरा जहां में


हो फूलों सा महकता जीवन जहां में


 


न कोई भी भूखा रहे इस जहां में


न कोई भी वस्त्रों को तरसे जहां में


शिक्षित सभी हों अशिक्षित न कोई


संपन्नता को भी तरसे न कोई


ये सुंदर सा सपना है मेरा जहां में


हो फूलों सा महकता जीवन जहां में


 


निराश्रित न हो कोई, वृद्ध जहां में


मिले प्यार संतान का इस जहां में


जैसे उन्होंने है चलना सिखाया


वैसे ही सेवा वो पाएं जहां में


 ये सुंदर सा.......................


हो फूलों सा........................


 


लक्ष्मी स्वरूपा है नारी जहां में


न अपमान कर , बन पापी जहां में


नारी है दुर्गा, नारी है भद्रकाली


नारी बने अन्नपूर्णा जहाँ में।


ये सुंदर...........................


हो फूलों .............................


 


भ्रूणहत्या करे न कोई भी जहां में।


न तरसे जन्म को कन्या जहां में।


बलात्कार, यौनशोषण न होवै जहां में


दहेजप्रथा भी लुप्त होवै जहां में


ये सुंदर सा...........................


हो फूलों .................................


 


मानव उत्पीड़न कोई करै न किसी का


अत्याचार भी कोई सहे न किसी का।


भ्रष्टाचार जैसी कुरीति न फैले


मेरा देश धनधान्य से फले फूले।


ये सुंदर...................................


हो फूलों ....................................  


 


बेरोजगारी न पनपै जहां में


बालश्रम भी बिल्कुल दिखे न जहां में


विचरण करै होके निर्भय जहां में


मिलजुल रहे प्रेम से इस जहां में


ये सुंदर ....................................


हो फूलों ............…......................


 


ये छोटा सा सपना, है मेरे ईश्वर


तू सच कर दे मेरे, हे जगदीश्वर


ये सुंदर................................


हो फूलों ...............................


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