काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार विजय कुमार सक्सेना "विजय"

विजय कुमार सक्सेना "विजय"


जन्मतिथि -- 10 जनवरी 1960


पिता -- श्री श्याम बहादुर सक्सेना


स्थाई पता -- मो-गदरपुरा निकट-शिव मंदिर, कस्बा-बिसौली, जिला-बदायूँ, उ0 प्र0, पिन-243720


मोबाइल न0 --9456065978


शिक्षा -- एम0 ए0 (अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र), बी0 एड0, एल0एल0बी0


सम्प्रति -- प्रधानाचार्य, लाला छोटे लाल स्मा0 हा0 से0 वि0,राजा की सीकरी, जिला-बदायूँ, उ0 प्र0


प्रकाशित पुस्तक --सांझा काव्य संकलन "मेरी कलम से" 


रचनाओं का प्रकाशन -- नये क्षितिज, स्मृति वन्दन, काव्य रंगोली तथा अन्य प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित।


उपलब्धियाँ/सम्मान -- 


(01) -- राष्ट्रीय कवि चौपाल शाखा-मैनपुरी,उ0 प्र0 द्वारा "रामेश्वर दयाल दुबे साहित्य सम्मान " ।


(02) -- काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका, खीरी द्वारा "साहित्य भूषण" एवं "मातृत्व ममता सम्मान" ।


(03) -- सृजन कला एवं अभिरुचि मंच, बहजोई (सम्भल) द्वारा "साहित्य साधक सम्मान" ।


(04) -- अखिल भारतीय साहित्य परिषद, विराट नगर (जयपुर) द्वारा "साहित्य सम्राट सम्मान" एवं "साहित्य भूषण सम्मान" ।


(05) -- के0 बी0 हिंदी साहित्य समिति, बिसौली (बदायूँ) द्वारा "राज बहादुर विकल स्मृति सम्मान", "सहयोग श्री सम्मान" एवं "गिरिजा कुमार माथुर स्मृति सम्मान" ।


(06) -- सरिता लोक सेवा संस्थान, सहिनवा (सुल्तानपुर) द्वारा "हिंदी रत्न सम्मान" ।


(07) -- विश्व हिंदी रचनाकार मंच, रामपुर उ0 प्र0 द्वारा "मातृभूमि सम्मान"।


(08)-- के0 टी0 साहित्यिक विकास समिति, बीसलपुर (पीलीभीत) द्वारा "हिंदी भाषा भूषण सम्मान" ।


अन्य -- शिक्षा के क्षेत्र में "उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान" द्वारा प्रो0 जे0 एस0 रुस्तगी, यू0 एस0 ए0 एवं "लाखन सिंह स्मृति सम्मान" द्वारा लाला छोटे लाल मोहरा देवी ट्रस्ट, नई दिल्ली।


विशेष -- 


(01)--आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर काव्य पाठ। 


(02)--विभिन्न साहित्यिक मंचों एवं कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ।


सम्पर्क सूत्र -- 9456065978


ई मेल -- vijaykumarsaxena1960@gmail.com


 


(01) -- सरस्वती वंदना 


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हे हंसवाहिनी माँ वर दो वर दो वर दो।


बन ज्योति पुंज माता सब दूर तिमिर कर दो।।


 


तुम ज्ञान की देवी हो,विज्ञान तुम्हीं से है।


सब काव्य कलाओं में,सुर ताल तुम्हीं से है।


वीणा के तारों में झनकार मधुर भर दो।


हे हंसवाहिनी माँ-----


 


वेदों ने पुराणों ने,महिमा तेरी गायी है।


कबिरा की साखी तू,मानस चौपाई है।


मेरे भी गीतों के माँ स्वर सुरभित कर दो।


हे हंसवाहिनी माँ-----


 


विद्या की देवी तू,मैं अज्ञानी बालक।


याचक बन कर आया,हे माता महादानी।


चरणों में शीश मेरा माँ हस्त वरद धर दो।


हे हंसवाहिनी माँ-----


 


पूजा की थाली में,भावों का चन्दन है।


शब्दों के पुष्पों से,माँ तेरा वन्दन है।


नित ध्यान धरूँ तेरा उद्धार मेरा कर दो।


है हंसवाहिनी माँ-----


 


(02) -- क्यों घबराता है तू बन्दे


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क्यों घबराता है तू बन्दे,


          बुरा वक्त जब आता है।


 


तूफाँ में जब नाव फंसी हो,


          मांझी पार लगाता है।


 


गम के बादल छाते हैं तो,


          सूरज भी छिप जाता है।


 


उम्मीदों की किरण दिखाने,


          नया सवेरा आता है।


 


बीज सदा मिट्टी में मिल कर,


          के ही जीवन पाता है।


 


और आग में तप कर के,


         सोना कुंदन बन जाता है।


 


जीवन की गाड़ी तो प्यारे,


          हिम्मत से ही चलती है।


 


पर्वत के सीने से ही,


          निर्मल जल धार निकलती है।


 


राह कठिन हो सकती है,


     पर राह नहीं छोड़ा करते।


 


प्रण कर लें तो हम नदियों की,


          धारा को मोड़ा करते।


 


किस्मत का सब दोष बताकर,


          मन को क्यों बहलाता है।


 


कांटे हों जिसके दामन में,


          वो गुलाब कहलाता है।


 


(03) -- माँ 


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माँ है माता भाग्य विधाता,और ममता का रुप है माँ।


माँ है लक्ष्मी दुर्गा काली,और पूजा की धूप है माँ।।


माँ है करुणा प्रेम भावना,और जीने की आशा माँ।


माँ है त्याग तपस्या मेरी,जीवन की परिभाषा माँ।।


माँ है श्रद्धा सत्य आस्था,और मेरा विश्वास है माँ।


माँ है गंगा जमुना जैसी,सब देवों का वास है माँ।।


माँ से बचपन और जवानी,अरु ईश्वर का साथ है माँ।


माँ से हँसता गाता बचपन,तेरे बिना अनाथ है माँ।।


माँ है खेल खिलौने मेरे,चंदा और चकोरी माँ।


माँ है किस्सा और कहानी,मीठी मीठी लोरी माँ।।


माँ है इस जीवन की बगिया,और खुशबू का वास है माँ।


माँ के बिन क्या जीवन जीना,जीवन बहुत उदास है माँ।।


माँ से सब बच्चों की खुशियाँ,और खुशियों की ताली माँ।


माँ ऊपर से कड़क दीखती,होती भोली भाली माँ।।


माँ है वीर शिवा की प्यारी,प्यारी पन्ना दाई माँ।


माँ है रण में चंडी काली,रानी लक्ष्मी बाई माँ।।


माँ है रोली कुमकुम चंदन,और पूजा की थाली माँ।


माँ दुनिया में सबसे सुंदर,गोरी हो या काली माँ।।


माँ है सब देवों की जननी,और चारों ही धाम है माँ।


माँ के चरणों में है जन्नत,और जन्नत का नाम है माँ।।


 


(04) -- देश प्रेम गीत


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सारी दुनिया से प्यारा है जिसको वतन।


उसको शत शत नमन उसको शत शत नमन।।


 


प्यार जिसने किया इस धरा से सदा।


सांसों में जिसके खुशबू वतन की सदा।


दिल में जिसके बसे प्यार की अंजुमन,


उसको शत शत नमन-----


 


कैसे लिक्खूं मैं उसकी कहानी यहाँ।


कर दी जिसने निछावर जवानी यहाँ।


सीमा पर जो खड़ा सर पे बांधे कफ़न,


उसको शत शत नमन-----


 


जान से ज्यादा प्यारा है जिसको वतन।


सुबह उठ कर करे श्रद्धा से नित नमन।


गंगाजल से करे जो सदा आचमन,


उसको शत शत नमन-----


 


हमने समझा जिन्हें अपना इक रहनुमा।


उनके दमन पे हैं दाग कुछ बदनुमा।


जिसके दम से बचा है हमारा चमन,


उसको शत शत नमन-----


 


(05) -- फूल 


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फूल को कुछ पता नहीं होता,


 


कल क्या उसका हश्र होना है।


 


शीश पर किसके उसको चढ़ना है,


 


किसकी अर्थी पे उसको सोना है।


 


फूल हो या कि कोई इंसां हो,


 


सबके जीवन में यह ही होता है।


 


आज का कुछ पता नहीं उसको,


 


कल की चिंता में फिर भी रोता है।


 


फूल की जिंदगी से कुछ सीखो,


 


कैसे खिल कर के बिखर जाता है।


 


पंखुड़ी उसकी बिखर जायें पर,


 


खुशबू अपनी बिखेर जाता है।


 


बीत जाये जो उसका रोना क्या,


 


व्यर्थ में क्या भविष्य का सोचो।


 


शान से जीना है जमाने में,


 


सार्थक वर्तमान का सोचो।


 



बिसौली (बदायूँ)--- मो0 न0-- 9456065978


 


 


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