काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार कामिनी गोलवलकर

कामिनी गोलवलकर 


पिता का नाम :-स्वा ए एल गोलवलकर 


जन्म तिथि :- 26 अगस्त 


जन्म स्थान :- ग्वालियर 


शिक्षा :- एम ए इतिहास , with computer, संगीत 


अभिरुचि :- साहित्य कविता कहानी लिखना 


सम्प्रति :-


प्रकाशित कृतियाँ :- 


सम्मान एवं उपलब्धियां :-श्री डी पी चतुर्वेदी सम्मान ,सहोदरी सोपान3


प्रकाशन :- देनिक भास्कर ,ज्ञान बोध ,समर सलिल ,काव्यांजली, काव्य. रागोली ,यूथ एजेंडा ,ई प्रायास पत्रिका ,विहँग प्रीति साझा संग्रह सहोदरी सोपान 3 कथा ,सहोदरी सोपान रचना , गीतिका मनोरम ,देनिक मेट्रो ,हमारा मेट्रो l 


प्रसारण :-


दूरभाष :-7770985164


 


ई मेल :- kamini kg7@gmail.com


 


पूरा पता "-157 सिंधी कालोनी कम्पू लशकर ग्वालियर मध्य प्रदेश 


Kamini Golwalkar 157Sindhi colony Lashkar Gwalior Madhya Pradesh 


pin code 474001


 


1)


माँ ही धरती माँ ही अम्बर


माँ होती है पालनहार


 


माँ से ममता सीखी हमने


माँ से सीखा है सत्कार


 


माँ ही धीरज माँ ही संयम


माँ से मिलता हमको प्यार


 


माँ ही दिल है माँ ही धड़कन


माँ ही है ईश्वर का प्यार


 


माँ ही पूरव माँ ही पशचिम


माँ ही उत्तर- दक्षिण का द्वार


 


माँ से ममता माँ से माया


माँ सृष्टि की रचनाकार.


 


(2)


बहुत प्यारी लगती है बेटियाँ


बहुत दुलारी लगती है बेटियाँ


बेटियाँ लागे सारा संसार हमे


बहुत न्यारी लगती है बेटियाँ


 


अपनी होती परछाई है बेटियाँ


इस धरा की अच्छाई है बेटियाँ


अहिल्या तारा मंदोदरी कुन्ती


द्रोपदी सभी कहलाई है बेटियाँ


 


धरा से गगन तक छाई है बेटियाँ


विश्व के पटल लहराई है बेटियाँ


कल्पना और सुनीता आंतरिक्ष


की दो परिया कहलाई है बेटियाँ


 


चारो और चर्चा में छाई है बेटियाँ


पीवीसिंधु ये पदक लाई है बेटियाँ


लक्ष्मीबाई दुर्गावती और इंद्रा गांधी


ने विश्व में पहचान बनाई है बेटियाँ


 


देश में खुशहाली यु लाई है बेटियाँ


सावन की घटा सी छाई है बेटियाँ


बधाई की शहनाइयां बजाई देश ने


उमड़ घुमड़ ख़ुशिया लाई है बेटियाँ


 


(3)


सुबह शाम करता बेलदारी


भोजन कि फिर भी मारा मारी


मिलती नही उसे उचित पगार


पल पल उसकी ये लाचारी


 


श्रमिकों के श्रम का हो सम्मान


सदा रखे खान पान का ध्यान


सब उनके हक की करते बात


यही सब उनका बड़ा सम्मान


 


देश के विकास में श्रमिको का दान 


इनकी मेहनत से ही देश का कल्यान 


पर्वतो को चीर के पथ बना डाले सारे 


सब मिलकर रखो सदा इनका ध्या


 


(4)


 


क्यों मोन तुम्हारा प्यार


नही इक़रार नही इंकार


कुछ ती करो इजहार


क्यों मोन तुम्हारा प्यार


 


मेरे मन के मीत 


मेरे दिल की प्रीत 


मेरा पहला गीत तुम हो


 


मेरा पहला प्यार


दिल की बहार तुम हो


सावन श्रंगार मन की


बहार तुम हो


 


बस कहदो तुम एक बार


मुझे हो गया तुम से प्यार


मुझे हो गया तुम से प्यार


क्यों मोन तुम्हारा प्यार


 


(5)


 


मुश्किल में मुस्काना सीखो


दर्दे दिल तुम गुनगुना सीखो


गमो का दौर आता जाता है 


तुम चट्टानों से लड़ना सीखो


 


फूलो से महकना सीखो


चिड़ियों से चहकना सीखो


लदी हुई डालियों से सदा


सदा झुककर रहना सीखो


 


 सूरज से सदा पावंदीे सीखो


कोयल से मीठी वाणी सीखो


ऋतुओ ने सिखाया हमको


मुश्किल में मुस्काना सीखो


 


फूलो की कोमलता सीखो


चाँद सी शीतलता सीखो


जीवन के पल पल को


खुशियों से भरना सीखो


 


हाथो को बार बार धोना सीखो


मुह पे मास्क लगाना सीखो


एक मीटर की सामाजिक दूरी 


लेन देन की तकरार न सीखो


 


(6)


 


बाबुल मैं छोटी चिड़िया तेरे आँगन में


एक कटोरी दाना पानी रखना आँगन में


भोर के साथ सफर पे निकल जाऊँगी


साझ ढ़ले घर दाना पाऊँगी आँगन में


 


बाबुल छोटे छोटे बच्चे मेरे नीड़ में


बाबुल जी खेलते है वो सदा भीड़ में


साप छछूंदर से उनको को है बचना


अपना जीवन बिताना तेरे नीड़ में


 


तिनके तिनके से नीड़ सजाया धूप में


आराम मिलते ही जरा सी,सी छाँव में


अपने बच्चों के साथ गीत गुनगुनाया


कलरव भी खूब मचाया हमने भोर में



 


 


 


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