जीवन परिचय
==========
नाम :
जन्म तिथि : 15 अगस्त 1972
जन्म स्थान : ग्राम -नुआँव
पोस्ट- चुनार
जिला- मिर्जापुर
पति :श्री अनिल कुमार सिंह
शिक्षा : बी. एड. ,एम. ए.
(हिन्दी एवं समाजशास्त्र)
पी-एच. डी. (हिन्दी)
संप्रति : व्याख्याता, सेंट जेवियर्स हाई स्कूल
बिलासपुर (छ. ग.)
कृतियाँ : (1) महादेवी वर्मा के साहित्य
में नारी चिंतन (2013)
(2) भोजपुरी के संस्कारपरक
लोकगीत (2016)
(3) कुछ उनकी कुछ अपनी बातें
काव्य संग्रह (2017)
(4)इंतजार (कहानी संग्रह)
(2019)
(5)मंजिलें और भी हैं ...(2020)
(6)कविता संग्रह(यंत्रस्थ)
संपादन :
(1)प्रेरक सत्य कथाएँ (2017)
(2)डॉ. विष्णु पंकज मीडिया में
(2018)
(3)स्मारिका भाग -9
(छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग)
(2018)
(4)बिलासपुर अंचल की कवयित्रियाँ
(काव्य संग्रह )(2020 )
सम्मान :
(1) “आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी " सम्मान 08 नवम्बर 2009 ।
(2)“श्रेष्ठ शिक्षक "सम्मान 2012
(3)“श्रेष्ठ शिक्षक "सम्मान 2013
(4)“आदर्श शिक्षक" सम्मान 2014
(5)“राष्ट्रभाषा भूषण "पुरस्कार (2016)
(6)“समन्वय रत्न " सम्मान (2016)
(7)“रचना साहित्य” सम्मान (2016)
(8) “लोक साहित्य " सम्मान (2016)
(9)“राष्ट्रभाषा भूषण" पुरस्कार (2016)
(10)“सर्वश्रेष्ठ शिक्षक "सम्मान (2016)
(11)“ छत्तीसगढ़ रत्न " सम्मान (2017)
(12)“काव्य विभूषण दुष्यंत स्मृति "
सम्मान (2017)
(13)“काव्य शिरोमणि माखनलाल चतुर्वेदी
स्मृति "सम्मान (2017)
(14)“राष्ट्रीय सेवा" सम्मान (2017)
(15)“काव्य शिरोमणि रवींद्रनाथ टैगोर
स्मृति "सम्मान (2018)
(16) “महाकवि रामचरण हयारण ‘मित्र’
स्मृति” सम्मान (2018)
(17)“माता सावित्री फुले आदर्श शिक्षक”
सम्मान (2018)
(18)“हिन्दी साहित्य विभूषण ”
की मानद उपाधि (2018)
(18)“साहित्य रत्न ” सम्मान (2019)
(20)“साहित्य गौरव” सम्मान (2019)
(21)“लोकसाहित्य अलंकरण ”सम्मान (2020)
(22)“अटल बिहारी बाजपेयी स्मृति” सम्मान
(2020)
(23)"बिलासा साहित्य "सम्मान
(24) "हिन्दी काव्य गौरव अलंकरण "
विशेष -
बारह राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रों का प्रकाशन ।
शोध संगोष्ठियों में सहभागिता -
-अनेक राष्ट्रीय शोध- संगष्ठियों में शोध -आलेखों का वाचन एवं
सक्रिय सहभागिता ।
- समय- समय पर अनेक पत्र -पत्रिकाओं में
कविता, कहानी, लेख, समीक्षा आदि का प्रकाशन।
पता -राजीव विहार, सीपत रोड
गणेश स्वीट्स के सामने बिलासपुर
छत्तीसगढ़
मोबाइल न. 9907901875,9425280609
Email -dr. singhanita315@gmail.com
Website-www.dranitasingh2631.blogspot.com
YouTube - Dr. Anita Singh
कविता-1
मौत के द्वार
========
जिंदगी से करते हुए खींच -तान
अब आ पहुँची हूँ मौत के द्वार।
कुछ ख्वाहिसें अधूरी
कुछ गुफ़्तगु अधूरी
कहना चाहती थी उनसे कुछ अल्फाज़ ।
अब आ ----------------।
जिसका न होना भी
कराता है होने का अहसास
ठहरना चाहती थी दो पल उनके साथ ।
अब आ -----------------।
सब कुछ पीछे छूट रहा है
गहरा रिश्ता भी टूट रहा है
जो जुड़ा नहीं था वो था बहुत आगाध।
अब ------------------।
क्या खोया क्या पाया मैने
जब करने लगी हिसाब
तब भी था प्रिय तेरा ही कोमल एहसास।
अब ------------------।
चुन -चुन कर सहेज लाई हूँ
समृतियों के वंदनवार
पुनः आना तुम लेकर वही उजास।
अब ------------------।
ना गिला, ना शिकवा कोई
ढह गयी नफरत की दीवार
मेरी गलतियों को कर दो प्रभु अब तो माफ।
अब आ------------------।
डॉ. अनिता सिंह
कविता- 2
कोरोना काल में
************
हर तरफ सहमी सी खामोशी
कभी डराया तो कभी अस्थिर बनाया
पर सुकून का फल पाया है मैंने
इस करोना काल में।
तब समय के पीछे मैं भागती थी,
अब समय को मैंने अपनी हसरतों से सजाया है इस कोरोना काल में।
इस लाॅकडाउन में मैंने समय से दोस्ती कर ली है,
वह पल जो मुझे भाव नहीं देते थे
अब मुस्कुराते हैं मेरे समक्ष
इस कोरोना काल।
व्यस्तता में अपनों से बात नहीं कर पाती थी,
अब हर दिन माँ की ममता में डूबती इतराती हूँ इस कोरोना काल में।
ख्वाहिशें अधूरी रह जाती थी बच्चों की ,
अब स्नेह से सजाया है घर की बगिया को
इस कोरोना काल में।
कभी पढ़ती हूँ ,कुछ सृजन भी करती हूँ ,
ख्वाबों की दुनिया में इत्मीनान से गुजरती हूँ
इस कोरोना काल में।
परिवार के साथ खुद की भी देखभाल करती हूँ,
सज संवर कर ख्वाबों को नया आयाम देती हूँ इस कोरोना काल में।
कल तक व्यस्त थे हम संसार के मायाजाल में
अब मिला है अवसर प्रतिभा निखारने का
इस कोरोना काल में ।
माना कि सफर मुश्किल है दहशत में है दुनिया,
पर मैंने अपने अंतर्मन में आत्मविश्वास जगाया है इस कोरोना काल में ।
यह वक्त की आंधी है
एक दिन तो ठहर जाना है इसको ,
नहीं हम सबको डगमगाना है
इस कोरोना काल में।
डॉ . अनिता सिंह
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
मोबाइल नंबर-9907901875
कविता-3
सच -झूठ
झूठ ने एक दिन सच से पूछा
क्यों होती है दुनिया में
सच-झूठ की लड़ाई?
सच ने मासूमियत से जवाब दिया --
जो बोलते हैं ,सच का साथ दो
वही होते हैं झूठ के सगे भाई।
तभी तो सच आज वहशी पंजो में
जकड़ा छटपटा रहा है।
और झूठ!
झूठ ,बगल में खड़े हो
ठहाके लगा रहा है।
सच, सच है इसलिए
पंक्ति में पीछे खड़ा हो
आँसू बहा रहा है।
झूठ, झूठी चापलूसी कर
आगे बढ़ता जा रहा है।
सच के सामने
भले लोग शीश झुकाते हैं ।
पर झूठ के इशारों पर ही तो
कदम बढ़ाते हैं।
सच-झूठ का खेल अनोखा है।
सच के साथ हरदम होता धोखा है।
झूठ आज बेखौफ हो सोता है।
क्योंकि झूठ के साथ
चाटुकारों का आशीर्वाद है।
सच की जीत होती है, यह कहावत
आज सच को करती बेनकाब है।
बड़े -बड़े लोग
झूठ और मक्कारी के साथ हैं।
तभी तो सच आज झूठ के सामने
विवश और लाचार है।
डॉ. अनिता सिंह
राजीव विहार, सीपत रोड
(बिलासपुर छ. ग.)
मो. न. 9907901875
कविता-4
तुम मेरे ही तो हो..
============
अगर मेरी चाहत में तेरी चाहत
नहीं मिली तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
तेरी नजरों ने मेरी नजरें
नहीं पढ़ी तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
तेरी धड़कनो ने मेरी धड़कनो का
एहसास नहीं किया तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
तेरे दिल ने मेरे दिल की आवाज़
नहीं सुनी तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
जिंदगी की सफर में एक राह पर
साथ नहीं चले तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
तुम प्यार के बदले मुझे नफरत
करते हो तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
मैं करती रहूँगी यूँ ही तुमसे मुहब्बत दिल से
नहीं समझते तो क्या हुआ
तुम मेरे ही तो हो।
डॉ .अनिता सिंह
बिलासपुर छत्तीसगढ़
मो न. 9907901875
कविता-5
किताब है तू
इक धूँधला सा आइना है तू
आधा अधूरा सा मेरा ख्वाब है तू।
वक्त का टूटा लमहा है तू
मेरी आँखों में ठहरा सैलाब है तू।
न जुड़ पाये न अलग हुए
उलझा हुआ सा हिसाब है तू।
गुमनामी की भीड़ में गुम गये हो कहीं
जो गुम गया वही खिताब है तू ।
आती है हर पल तेरी खुशबू
तू ही बेला तू ही गुलाब है तू।
बहुत पढ़ने की कोशिश करती हूँ तुझे
पर धूँधले शब्दों की किताब है तू।
डॉ. अनिता सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें