कवि डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

दिनांकः ०१.०७.२०२०


दिवसः बुधवार


विधाः गीत


विषयः स्वदेशी


शीर्षकः स्वदेशी हृदयस्थल भरा हूँ


 


स्वदेशी अन्तस्थली मेरी,


मधुरिम भावना से भरा हूँ।


स्वाभिमान नित धरती मेरी,


नव निर्माण मानस भरा हूँ। 


 


माँ भारती है शान मेरी,


बलिदान निज मन में भरा हूँ।


नित सत्काम पथ दुर्गम पथी,


परहित भाव मानस भरा हूँ। 


 


धीरज साहसी रथ सारथी, 


विश्वास शक्ति से नित भरा हूँ।


नित आत्मबल हो स्वावलम्बी,


अरमान को मन में भरा हूँ।   


 


सुखद शान्ति जग लिप्सा मेरी,


सद्भाव प्रेम से मन भरा हूँ।


स्व सभ्यता संस्कृति मेरी,


गौरव भावना नित भरा हूँ। 


 


स्वयं शौर्य बल पहचान मेरी,


दुश्मन दमन पौरुष भरा हूँ,


रहा विश्वगुरु विज्ञान शिल्पी,


नित न्याय निर्णय पथ बढ़ा हूँ। 


 


ध्वज तिरंगा सम्मान मेरी,


सीमान्त रक्षक नित बना हूँ।


नित सुष्मित प्रकृति हो मानवी,


जयहिन्द भावों से भरा हूँ। 


 


सद्भावन चारु चित्तचंचरी,


स्व संविधान पथ नित बढ़ा हूँ। 


खुशियाँ वतन मुस्कान मेरी,


स्वदेशी हृदयस्थल भरा हूँ।


 


कवि डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"


 रचनाः मौलिक (स्वरचित)


नई दिल्ली


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