कोरोना कविता covid poem 19

बढ़ता कोरोना है बिकट, चिंता बहुत भारी प्रभू।


संकट में सारी सृष्टि है,इसकी करो रक्षा प्रभू।


पत्ता नही हिलता कोई , जब तक न मर्जी आपकी।


जय राम राघव लखन हनुमत ,लाज राख़ौ जानकी।


पावन पवित्र शरीर कर स्पर्श से बचिये सदा।


दूरी बनाकर सूर्य जैसे प्रेम बाँटो सर्वदा।।


मिलते नही भगवान लेकिन, नेह भक्तों पर करे।


दूरी बनाकर दुष्ट बीमारी कोरोना से बचे।


साबुन सदा ही जेब मे,शीशी में सेनीटाइजर।


हर एक सतह को, संक्रमित है ऐसे मन में मानकर। 


सब काम निपटाओ,रहे दूरी भरा अति प्यार हो।


नीरज नयन छलके न कोई संक्रमित बीमार हो।


मो0 9919256950


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