नंदलाल मणि त्रिपाठी

जिंदगी एहसास अजीब


दोस्त दुश्मन के बीच गुजराती


दोस्त भी कभी नाम के।


मौका मतलब कस्मे वादे


दुश्मन कभी दोस्त दोस्ती का


मतलब समझाते।।


 


दोस्त कभी दुश्मन तो कभी 


दुश्मन दोस्त बन जाते।


जिंदगी में यकीन का सवाल


किस पे यकीन करे।


जिंदगी के सफ़र में मतलब का


हर रिश्ता हर रिश्ता कीमत का


सौदा।।


 


मौका परस्त इंसान जाँबाज


सरीखा।


मौके मतलब की नज़ाकत से 


नहीं वाक़िब इल्म का इंसान


नाकाबिल् जैसा।।   


 


कामयाब काबिल जिंदगी


मतलब मौके की तलाश


मौके पर मतलब का 


हथौड़ा।।


 


क़ोई मरता है तो मारने दो


कोई जलता है तो जलने दो


जिंदगी के जज्बे को जज्बा ही


रौंदता।।


 


खुद के दर्द गम की फ़िक्र नहीं


करती जिंदगी।


गैर की खुशियों के कफ़न ओढती


 मोहब्बत भी तिजारत धंधा।।


 


मोहब्बत से पहले ही जिंदगी


एक दूजे को फायदे नुक्सान


के तराजू पे तोलता।।


 


जिन्दंगी मतलब का जज्बा


जूनून खुदगर्जी की आशिक


अक्स अश्क की हद हसरत का मसौदा।।


 


मुश्किल है एक अदद मिलना


जिंदगी के सफ़र का सच्चा रिशता।


नफरत का दौर इस कदर हावी


नफ़रत में ही मोहब्बत का यक़ीन


जिंदगी के कारवां में भीड़ बहुत


फिर भी जिंदगी तनहा तनहा।।


 


ऊंचाई की परछाई यादो का सफ़र


तनहा ।


दुनियां के शोर में जिंदगी


अंधी दौड़ में भागती खुद के तलाश में खुद का पता पूछती


थक हार कर खुद का एतवार


कर लेती।।


 


चंद लम्हों में टूटता तिलस्म 


जहाँ रेविस्तान वहां बाढ़ 


जहाँ बाढ़ वहां रेगिस्तान।।


 


कभी बाढ़ शैलाभ तूफ़ान में


डूबती कभी रेगिस्तान में एक


बूँद को तरसती भटकती।।


 


कभी कश्ती लड़खाड़ाती भंवर


में फंस जाती डूबता इंसान संग


डूबने का करता इंतज़ार।।


 


किनारे पे खड़ी जिंदगियां सिर्फ


खुदा का करती गुहार कुछ कह


सुन लेती काश ऐसा होता काश


वैसा होता की चर्चा आम ।।


 


खुद के डूबने का अंदाज़ा ही नहीं


कब लड़खड़ा जायेगी हर उस जिंदगी की कश्ती जिसने ख्वाब 


बहुत सजाये हकीकत में जिंदगी


के लम्हे गवाए ।।                   


 


एक दूजे का खीचने में टांग जिन्दा जिंदगी को समझ के लाश।।


 


जिंदगी के लम्हे चार ,दो दूसरों के


लिये गढ्ढा खोदने में गुजर गए दो


खुद डूबने के डर की भय आह।।


 


जिंदगी में वक्त बहुत कभी कमबख्त वक्त की मार काश कश्मकश का अफ़सोस ।।


 


जिंदगी जागीर नहीं जिंदगी होश 


हद हकीकत का फलसफा जिंदगी उसी की जिसने जिया


दुनियां के दरमियान ।।           


 


ख़ुशी गम


में भी संजीदगी का संजीदा इंसान


का इल्म ईमान।।


 


क्योकि किस्सा है आम जिंदगी के सफर में गुजर जाते जो मुकाम


वो फिर नहीं आते ।।             


 


चाहे तो लो


गुनगुना गुजरा हुआ ज़माना आता नहीं दुबारा हाफिज खुदा तुम्हारा


की जिंदगी सरेआम।।


 


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर


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