नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

आशा विश्वास जीवन के दो भाव


आशा लौ जैसी विश्वाश है बाती।


जीवन आशा विश्वाशों का दीप


जलता दीपक जीवन दीवाली।।


 


त्यौहार ,प्रज्वलित ,मद्धिम दीपक


जीवन सुख, दुःख का खेल ,मेल।


 


आशाओे का टूटना विश्वाश 


डगमगाना जीवन बेमेल ।।


 


आशा उत्साह जगाती विश्वाश


उद्देश्य का उद्भव उद्गम क़ी महिमा


मंडन का मार्ग बेजोड़।।


 


आशा और निराशा के बीच


घूमता जीवन जीत, हार ,जीवन


संग्राम का अर्थ उद्देश्य।।


 


आशा सावन कि फुहार निराशा


सावन का काला बादल।


जीवन् में संताप ख़ुशी का कारण


आशा कभी कदाचित निराधार निर्विकार ।।


 


आशा साक्षात्कार ,सत्कार


आशा विश्वास का अवनि आधार।


आस्था, अस्तित्व का आविष्कार


आशा विश्वाश जगाती विश्वाश का आस्था से रिश्ता नाता।।


 


आशा, विश्वाश की आस्था पत्थर में भगवान दिखाता ।


भाग्य ,भगवान आशा ,विश्वाश 


जीवन का वर्तमान भविष्य बताता।।


 


प्रेम भाव आशा कि जलती लौ


विश्वास कि ज्वाला आस्था। अस्तित्व के गहरे सागर से मिल 


जाना जीवन मूल्यों के पथ पथिक


का उद्देश्य का जीवन चलता। 


आशाओं को जगने दो अंतर मन के भावो से विश्वाश का उफान ज्वार पराक्रम की ललकारों से।


 


मिल जाएंगे अल्ला ईश्वर खुद में


चेतना के जीवन राहों में।।


 


कहीं खो ना जाओ मिथ्या के आडम्बर में ना आशा जगे जीवन


में ना विश्वास का बैभव हो।


नश्वर जीवन में ना स्वर हो न उमंग


तरंग का संगीत तराना जिंदगी सिर्फ कटते काल समय की बोझ


जीवन मृत्यु के मध्य का सोना जागना।।


 


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर


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