नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

1-विधा--कविता


शिर्षक--पानी


 


मर जाता आँख का पानी


इंशा शर्म से पानी पानी।


आँखों से बहता नीर नज़र का


आँसू पानी ही पानी।।


 


ख़ुशी के जज्बे जज्बात में


छलकता आँसू जिंदगी का मीठा


पानी ही पानी जिंदगानी।।


 


पानी है तो है प्राणी पानी से ही


प्राणी प्राण।


बिन पानी धरा धरती रेगिस्तान


वनस्पति पेड़ पौधे लापता उड़ती


रेत हवाओं में नज़ारा कब्रिस्तान।। 


 


कब्रिस्तान में सिर्फ दफ़न होता


मरा हुआ इन्शान


रेगिस्तान की मृगमरीचिका में


पानी को भटकता जिन्दा


दफ़न हो जाता जिन्दा इन्शान।।


 


पानी से सावन का बादल  


सावन सुहाना।


सावन की फुहार बरसात की बहार।


पानी धरती का प्राण


अन्नदाता किसान का जीवन अनुराग ।।


बारिस का पानी खेतों में हरियाली खुशहाली की एक एक बूँद 


कीमती धरती उगले 


सोना उगले हिरा मोती से दुनियां पानी पानी।।


पंच तत्व के अधम सरचना 


शारीर में पानी आवश्यक


आधार।


दूध में खून में अस्सी प्रतिसत पानी कही पानी ही पानी


कही बिन पानी सब सून।।


 


पानी प्यास ही नही बुझाती


जन्म ,जीवन का बुनियाद बनती।।


कही बाढ़ पानी ही पानी


पानी ही पी पी ही मरता इन्शान।


कही सुखा प्यासा भूखा नंगा


मरता इंसान ।।


पानी में परमात्मा पानी से आत्मा


पानी से खूबसूरत कायनात विश्वआत्मा।


 


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर


 2--विधा---कविता


    शीर्षक--पानी


 


झरना ,झील ,तालाब नदियां


समन्दर एक तिहाई का ब्रह्माण्ड


पानी पानी।


पानी पर्यावरण की शक्ति अनिवार्य।।


बहती नदियों की धाराएं


लम्हा लम्हा बहते पानी का एहसास चलती


जिंदगानी।।


धरती के ह्रदय तल से सूखता पानी बूँद बूँद कीमत बतलाता


पानी।।


शर्म से कोइ पानी पानी, गुस्तगी,


प्यार ,शरारत में सर ऊपर पानी


जंगो का मैदान भी पत पानी।।


 


पानी दौलत जरुरत पर खर्च


करों गैर जरुरत ना व्यर्थ करों।


पानी का सम्यक, संचय और निवेशन प्रकिति प्राणी का 


संवर्धन, संरक्षण।।


 


अभी गुन्जाईस है आने वाले


युग काल में पानी के लिये


होगा युद्ध पेट्रोल ,खून से होगा


महंगा पानी।।


सुनों गौर से दुनियांवालो ना


सूखे नज़रो का पानी


ना गुजरे सर से पानी


ना शर्म से हो पानी पानी


पानी दुनियां में है वाजिब।।


 


पानी से जिंदगानी जिंदगानी


से पानी प्राण प्राणी।।


 


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर


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