नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

,वक्त मूल्य मूल्यवान है


वक्त ही जीवन की कद्रदान है।


वक्त के रूप अनेको, लोखों मिज़ाज़ है।।


 


वक्त भाग्य ,भगवान भगवान् है


वक्त विध्वंस निर्माण है।


वक्त राज को रंक बनाता 


रंक को रजा बनाता 


वक्त विकट विकराल है।।


 


वक्त ताकतवर ,वक्त कायर 


वक्त हालत, हालात 


वक्त की हर सह गुलाम, आजाद गुलाम है।।


 


दर ,दर ठोकरे देता वक्त साधारण,


असाधारण महान है।


वक्त रुकता नहीं चलता जाता


वक्त कोई रोक सकता नहीं 


वक्त पीछे मुड़ कर देखता नहीं


वही गांडीव वही अर्जुन वही


वाण कुल्ल भीलों के हाथ


हार गया महारथी का पुरुषार्थ ।।


 


वक्त को रोकने वाला ,मोड़ने वाला


किसी युग में जन्मा ही नहीं


वक्त निति ,नियत, निर्धारण की धार ढाल है।।


 


वक्त समर ,साम्राज् वक्त राई को पर्वत ,पर्वत को राई बनाता


वक्त की अपनी कीमत चाक का युग संसार है।।


 


वक्त मित्र ,वक्त शत्रु ,वक्त वक्त


कर्म ,धर्म का गीता ज्ञान है।


वक्त जय, पराजय पुरुषार्थ 


वक्त के हर संस्कृति संस्कार


वक्त के कई नाम समय ,सत्य,


काल नित्य निरंतर प्रवाह है।।


 


वक्त विजेता ,वक्त पराजय


वक्त ख़ुशी ,गम आंसू ,मुस्कान है।


वक्त गीत है, गान है ,क्रंदन कलरव् सम्मान है।।


 


वक्त नफरत ,वक्त हसरत अरमान है।


वक्त छल है ,छलावा,


पछतावा, प्रपंच ,काश ,कसमकस की आह है।।


 


वक्त मर्म ,मर्यादा का राम है


निष्काम कर्म का कृष्ण ,अन्याय


अत्याचार का संघार परशुराम है।।


 


वक्त तुला है शिवि को भी अपने


माप से तौलता वक्त की अपनी


सुर लय ताल है।


वक्त कभी वीणा की झंकार कभी


शिव तांडव का डमड्ड डमड्ड शिवा


के डमरू की नाद है।।


 


कुरुक्षेत्र की रणभेरी है पाञ्चजन्य


का शंख नाद है।


वक्त सौम्य, शालीन ,वक्त, वैभव


विराट है ।।                          


 


वक्त राजा हरिश्चंद कंगाल है 


वक्त नादाँ ,वक्त होसियार खबरदार वक्त अतीत वर्तमान 


इतिहास है।।


 


वक्त ग्रह ,गोचर है ग्रह गोचर की


माती गति वक्त गति सदगति सम्यक संचय ,ज्ञान है।


 


वक्त प्रहर है ,प्रहरी है वक्त


के अधोन् सृष्टि युग ब्रह्माण्ड है।


वक्त मौसम ,विधि ,विधान 


वक्त कद्रदान का गुलाम है।।


 


वक्त जीवन पहचानपरिधान है वक्त व्यवहार वक्त आचार ,विचार का जन्म दाता वक्त दुनियां की संस्कृतियों कानिर्माता वक्त भीड़ है वक्त एकाकी है कभी रहता ही नहींकभी कटता ही नहीं वक्त


मेहरवानी मेहरवान है।।


 


वक्त मेहरवान है साथ सारा जहां


है वक्त निर्मम ,निर्दयी वक्त सुई की नोक तीर तलवार है।।


 


वक्त मौका है, वक्त धोखा है


वक्त विश्वास है ,दृश्य ,अदृश्य


शान ,स्वाभिमा मान अपमान है।।


 


वक्त टूटता नहीं ,वक्त झुकता नहीं,


वक्त रुकता ही नहीं नित्य निरन्तर कि धारा सुबह शाम दिन रात वर्ष महीने साल का सूरज चाँद है।।


 


वक्त को मोड़ दे ,विवस कर दे


रुकने को प्रवर्तक जाना जाता


परिवर्तन वक्त का माना जाता 


वक्त युग के जवाँ जज्बे के


नौजवान के क़दमों की गूंज


की अनुगूंज गर्व ,गौरव गान है।।


 


नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर


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