नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

जिंदगी जज्बे का तूफां लिये आई


हज़ारो साल नर्गिस के इंतज़ार का


तोहफा सौगात लिये आई।


बेशकीमती दौलत दामन में संभालूं कैसे।।


 


ख़ुशी से पाँव जीमीं पे नहीं लाखों


अरमान की हकीकत छुपाऊं कैसे।।


खुदा का करम कहूँ है या किस्मत


का करिश्मा पूछती है दुनियां बताऊँ कैसे।।


जिंदगी के यकीं का शोर बहुत


जहाँ में ,धीरे से जिंदगी की


मोहब्बत दिल में दबाऊं कैसे।।


 


नशा नसीब का बिन पिए शराब


भी सुरूर पे है जिंदगी के मैखाने


के ख़ास पैमाने को दिखाऊं 


कैसे।।


हर हद सरहद से गुजरने को


मचलता है दिल ,तरन्नुम में


मचलते दिल को समझाऊं


कैसे।।


 डर है की जिंदगी के तरानों का


ख़ास ये लम्हा ख्वाब ना हो जाये


अंदाजे ख़ास इस लम्हे को संभालूं कैसे।।


उगता हुआ सूरज है जिंदगी का ये


ख़ास लम्हा


चाँद की चाँदनी का दीदार अक्स


उतारूँ कैसे।।


लम्हा लम्हा गुजरती जिंदगी का


हसीन लम्हा जिंदगी का नूर


नज़र बनाऊ कैसे।।


हुस्न ,इश्क ,मोहब्बत मौसिकी का


आलम जिंदगी के हुजूर की मौसिकी गाऊँ कैसे।।


दीवाने परवाने का जूनून लम्हा जिंदगी का


हर साक पे बैठे की नज़र


हर साक की डाल को बताऊँ कैसे।।


ख़ास इंतज़ार की जिंदगी से 


इल्तज़ा इतनी मुबारख कदमो


के बाहरो का चमन हर कदम


जिंदगी में निहारूँ कैसे।।


 


नंदला लमणि त्रिपाठी पीताम्बर


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