कलयुग की महिमा
कलयुग की हाट बाजार में
भूख गरीबी और फूट
बिना मोल तीनो बिकै
लूट सके तो लूट
चोरों व घूसखोरों पर
नोट हर रोज बरसते हैं
ईमान के मुसाफिर इस जग में
राशन को तरस रहे हैं
कलयुग की हाट बाजार में
भूख गरीबी और फूट
बिना मोल तीनो बिकै
लूट सके तो लूट
जो कल तक थे हमारी,हितैषी
वो जुल्म ढा रहे हैं,चुप रहिये
फक्र ईमान पर जो करते थे
आज पछता रहे हैं,चुप रहिये
कलयुग की हाट बाजार में
भूख गरीबी और फूट
बिना मोल तीनो बिकै
लूट सके तो लूट
न्याय अन्याय की परवाह
कोई नहीं कर रहे हैं
पंच सरपंच या कानून से
कोई बंदा,नहीं डर रहे हैं
हिंदी के भक्त हैं, हम
जनता को यह जताते हैं
लेकिन अपने सुपुत्र को
कान्वेंट स्कूल में पढ़ा रहे हैं
कलयुग की हाट बाजार में
भूख गरीबी और फूट
बिना मोल तीनो बिकै
लूट सके तो लूट
नूतन लाल साहू
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