*खेती*
हिदुस्तान में 70 प्रतिशत खेती,
फिर भी शासन की कैसी मर्जी।
न खाद ,न यूरिया,न उपज मिले,
अब किसान कहाँ लगाए अर्जी।।
खेत जोतने में ट्रेक्टर महंगा,
मजदूरों को मजदूरी में तँगा।
फिर भी किसान का कर्तव्य,
खेती ही उसका मुख्य धंधा।
खेत जोतने में भले बैल नही ,
तो अपनो को बनाता है बैल।
बनाकर राजदूत गाड़ी को,,,
करता खेती भले महंगा हो तेल।।
धूप की तपन में तन को जलाता,
देखकर बादल को बड़ा मुस्काता।
खेती करना उसकी आदत हो गई
देकर अन्न उसकी इबादत हो गई।
तब जाकर खेती लहलहाती,
परिश्रम की बूंद में रोटी आती।
अगर सब नोकरी करने लगे,
पेट की भूख को कौन मिटाती।
न मकान न कपड़ा, बस यही ,
तन पर कुर्ता और पहने धोती।
गाँव में न कभी बिजली पहुँच,
झोपड़ी में दियासलाई से ज्योति।
समस्याओ का अंबार किसान
खेती करने वाला ही धोता,
फिर भी खेती कर देश के लिए
अन्न भंडार भरने हेतु धन बोता।
पीड़ित है खेती करने वाला,
बेमौसम को सहन करने वाला।
यह भी कम नही इसकी देश भक्ति,
धरा को चीरकर उपज देने वाला।
जय जवान जय किसान
*✍️प्रवीण शर्मा ताल*
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