अपनेपन का ढोंग रचा है ,
हर मनुष्य समय संग गिरगिट बना है ।
तस्वीर में साथ जो था कल तलक,
आज वो अनजान बन निकला है ।
कैसे कहु कोन अपना, कोन पराया ,
यहाँ पैसों के खातिर भाई-भाई का कातिल निलकला है ।
प्रिया चारण ,उदयपुर राजस्थान
हर शख़्स को परखना है
संकट में जो साथ न दे,
उसका विश्वास न करना है
बलिदान का समय निकल गया
अब बहिष्कार करना है
प्रिया चारण
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