प्रिया चारण उदयपुर राजस्थान

शीर्षक-जीवन जीने का सलीका


 


सुबह माँ की मीठी आवाज़ से


सुप्रभात हो सूर्य नमस्कार से


 


फिर एक सुबह का भ्रमण हो


जिसमे चारो दिशाओ का गमन हो


 


मंदिर में प्रातः काल नित् जाऊ


मस्जिद पर भी दुआ माँग आऊ


गुरुद्वारे का लंगर भी चख आऊ


चर्च की मोमबत्ती से जीवन जग मगाऊ


 


अपनी सोच को उच्च कोटि का बतलाऊ


पर आचरण में तनिक भी अभिमान न दिखलाऊ


 


अपनी माँ के चरणों मे जन्नत तलाशता


अपने काम पर हर रोज़ निकल जाऊ


 


बुजुर्गों से आशीर्वाद पाता,


में अपने वतन को न्योछावर हो जाऊ


 


ना कुबेर का खजाना बनाऊ


न नेता का ठिकाना बनाऊ


जितना मिले उसमे खुशी से जीवन बिताऊँ


 


सीधा सरल जीवन जीने का सलीका


में सबको बतलाऊँ


 


प्रिया चारण


उदयपुर राजस्थान


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