संगीता राजपूत " श्यामा


जन्म व जन्मस्थान - 12 मई 


कानपुर ( उत्तर प्रदेश ) 


संप्रति- लेखिका, कवयित्री 


प्रकाशित पुस्तके- श्यामला, माह विहंगम और नव पल्लव 


 


संपादन- मधुकर ( काव्य संग्रह) 


जय घोष ( कहानी संग्रह )


 


मान देश का करते हैं 


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दुष्कर हो राहे जितनी 


छल छन्दो से डरते हैं 


दो सूखी रोटी खाकर 


मान देश का करते हैं ---- 


 


रूखा तन छाती भूखी 


पाटी में जय घोष लिखे 


करता गर्वित माटी को 


धूली जैसा मोल दिखे 


सर मेरे छप्पर की छत 


कुंदन सा मन रखते है 


दो सूखी-------- 


 


पावन धरणी पुण्यधरा 


रक्त समर्पित है तुम को 


धङक रही सांसे मेरी 


रक्षा का वचन है हम को 


बालक है हम भारत के 


भाव समर्पण लिखते हैं 


दो सूखी----------- 


 


सुन ऐ घाती भारत के 


क्यो विष भू पर घोलो तुम 


पीङा में है मानवता 


मत नागफनी तोलो तुम 


जर्जर धन गिरते आंसू 


हदय वीर का रखते है 


दो सूखी------------ 


 


 


✍ संगीता राजपूत 'श्यामा '


 


वेदना लेखनी की 


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बंध गयी लेखनी भी अब 


शब्द भी परतंत्र है 


चितकारते है वाक्य भी 


ओज का सूरज छिपा जा रहा 


 


तिलमिलाती अभिव्यक्ति कहती 


बोल भङकाऊ है हौकते 


रूंध गया गला सच का 


छलछंद नित रचा जा रहा 


 


स्तंभ चौथा कहते तुमको 


हो रहे अब मौन क्यो ? 


ऐ कलम, अब भी जा 


छोङ कर खोखली लाचारिया 


उदघोष करने को, वर्तमान है बुला रहा 


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