*खो न जाँऊ कही*
विधा : गीत
खो न जाँऊ कही,
अपने के बीच से।
इसलिए लिखता हूँ,
गीत कविता आपके लिए।
ताकि बना रहे संवाद,
हमारा आप के साथ।
और मिलता रहे सदा,
आप सभी का आशीर्वाद।।
दिल में जो आता है,
मैं वो लिख देता हूँ।
अपनी भावनाओं को,
आपके सामने रखता हूँ।
कुछ को पसंद आती है,
कुछ का विरोध सहता हूँ।
पर अपनी लेखनी को,
मैं निरंतर रखता हूँ।।
शिकायते है कुछ लोगों की,
तुम विषय पर नहीं लिखते हो।
कृपा विषय पर लिखे,
और ग्रुप में प्रेषित करें।
पर बनावटी विचारों को,
मैं नहीं लिख पाता हूँ।
और उनकी आलोचनाओ का,
शिकार हो जाता हूँ।।
उम्र बीत जाती है,
अपनी छवि बनाने में।
यदि कदम डगमगा जाए,
तो रूठ अपने जाते है।
इसलिए मन की सुनकर,
मैं गीत कविताएं लिखता हूँ।
तभी तो यहां तक,
आज पहुंच पाया हूँ।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
17/07/2020
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