बंजर धरती पर फिर से हरियाली लाएं
फिर वसुधा पर रंग बिरंगे फूल खिलाएं।
कटे कोटि तरु कानन में अब छांव कहां?
पीपल बरगद वाला है अब गांव कहां?
वीरानी बगिया में फिर से वृक्ष लगाएं।
फिर वसुधा पर रंग बिरंगे फूल खिलाएं।
सूखे हैं खलियान नहीं खेती से आशा।
डूबा कर्ज किसान नित्य है घोर निराशा।
घन में घेरे घटा चलो सावन बरसाएं।
फिर वसुधा पर रंग बिरंगे फूल खिलाएं।
शुद्ध हवा हो नीर धरा सबको बतलाएं।
इस विपदा में एक दूजे का साथ निभाएं।
सभी लगाएं वृक्ष चलो सबको समझाएं।
फिर वसुधा पर रंग बिरंगे फूल खिलाएं।
सीमा शुक्ला अयोध्या।
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