गुजारिश
बस इतनी सी गुजारिश है जो गर मानो कहूँ तुमसे ।
मुझको तुमसे मोहब्बत है दूर कैसे रहूँ तुमसे ।।
शिकायत है अगर तुमको हमारी इन शरारत से ।
तो जीवन भर शरारत मैं कभी भी ना करूँ तुमसे ।।
सजाये तुमसे हैं सपने मेरे सपनों में आ जाओ ।
नहीं तुम गैर हो प्रियतम मेरे अपनों में आ जाओ ।।
तुम्हीं को देखकर जीती तुम्हीं पर जान देती हूँ ।
मेरा दिल बनके तुम धड़को धड़कनों में समाँ जाओ ।।
नजर में तुम समाये हो नहीं ये कह सकूँ तुमसे ।
हां मेरी जान बन बैठे दूर ना रह सकूँ तुमसे ।।
किया स्वीकार तुमको है मुझे स्वीकार तुम कर लो ।
एक पल की भी ये दूरी नहीं अब सह सकूँ तुमसे ।।
बस इतनी सी गुजारिश है जो गर मानो कहूँ तुमसे ।
मुझको तुमसे मोहब्बत है दूर कैसे रहूँ तुमसे ।।
स्वरचित.....
शिवांगी मिश्रा
लखीमपुर खीरी
उत्तर प्रदेश
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